भारतीय ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार शनि की साढ़े साती और ढैया सदैव अशुभ फल ही नहीं देता है बल्कि इस काल के दौरान शुभ फल भी प्रदान करता है श्री हृषिकेश पंचाङ्ग के अनुसार दिनांक 05 नवम्बर 2014 से शनि गोचरवश वृश्चिक राशि में प्रवेश किया है जो कि ढाई वर्षो तक वृश्चिक राशि में रहेगा । इस राशि में शनि होने से कन्या राशिवालों की साढ़े साती समाप्त हो गयी है। साथ ही तुला राशिवालों को ढाई वर्ष वृश्चिक राशिवालों को पाँच वर्ष तथा धनु राशिवालों को साढ़े सात वर्षो तक शनि की साढ़े साती का फल भुगतना पड़ेगा ।इस साढ़ेसाती के दौरान इन तीनो राशिवालों को तनाव कष्ट दूर्घटना विमारी व्यावसाय में हानि स्वजन विरोध जैसे अशुभ फलो की प्रबल संभावनाए बनती है साथही मेष राशि और सिंह राशिवालों पर शनि की ढईया प्रारम्भ हो चुकी है जो की ढाई वर्षो तक चलेगी। इन दोनों राशिवालों को भी उपरोक्त अशुभ फलों की प्रबल संभावनाए बनती है। शनि अपनी साढ़े साती और ढैया काल में सिर्फ अशुभ फल ही नहीं देता है बल्किशुभ फल भी देता है यह इसबात पर निर्भर करता है कि आपके जन्म समय में शनि जन्मांग चक्र में किस भाव में विराजमान है।यदि शनि आपके जन्मांग चक्र में लग्न तृतीय पंचम षष्टम नवम एकादश भाव में बैठा हो तो धन समृद्धि उन्नति भी देता है ऐसा विभिन्न ज्योतिष शास्त्रो का मत है फिर भी शनि की साढ़े साती एवं ढैया में शनि का मंत्र जप एवं शनि की पूजा करने से सभी प्रकार के अनिष्टों का निवारण होगा।इति शुभम।। पंडित मनोज मणि तिवारी बेतिया जिला पश्चिम चंपारण बिहार।
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