भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है।"अहिंसा परमो धर्मः" यहाँ का सन्देश है। "अतिथि देवो भवः" यहाँ का नारा है। ऐसे में हमारे पड़ोसी मुल्क, हमारी शांति, भाईचारा, अखंडता और विकास को भंग करने के लिए सरहद पर घुसपैठी आतंकवाद का सहारा ले रहा है।इस आतंक से सीमा पर हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं। ऐसे समय में पुरे देशवासी धैर्य से आतंकवाद का डटकर सामना कर रहे हैं। इस धैर्य को पड़ोसी हमारी कमजोरी ना समझें।एक छोटी-सी चिनगारी बड़े लपट का रूप धारण कर बड़े विनाश का कारण बन जाती है।
इस विषम परिस्थिति में किसी ज्योतिषी, कवि और लेखक की लेखनी खामोश नहीं रह सकती है क्योंकि राष्ट्र है तो हम हैं। राष्ट्र सुरक्षित रहेगा तो हमारा अस्तित्व भी कायम रहेगा। हमलोग "जननी जन्मभूमि" के सिद्धान्त को माननेवाले हैं अर्थात् हमारी जन्मभूमि (मातृभूमि) भी माँ है इसलिए भारत को "भरत-माता" भी कहते हैं। प्रत्येक पुत्र का कर्तव्य होता है कि अपनी माता की सब प्रकार से रक्षा करे। अतः राष्ट्र को हर प्रकार से सुरक्षित रखना ही हमारा "राष्ट्र-धर्म" है।
भारत के विषय में कहा जाता है कि:-
"साक्षी है इतिहास हमारा, हिन्द को युद्ध नहीं भाता है।
किन्तु अपनी आन के लिये, इसे जान देना आता है।"
हमारे वीर सैनिकों ने इसी पंक्ति को चरितार्थ करते हुए सरहद रक्षा में अपनी जो बहुमूल्य कुर्बानी दी है, उसपर भारत को गर्व है तथा राष्ट्र उन वीर शहीदों को शत् शत् नमन करता है तथा अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है। इस सन्दर्भ में मुझे शिर्फ़ इतना हीं कहना है:-
"हम आतंक से नहीं डरनवाले, भारत में जोश जवानी है।
बंद करो घुसपैठ आतंक, ललकार रहा हिंदुस्तानी है।"
जय हिन्द! जय जवान! जय भारत-माता की!
पंडित मनोज मणि तिवारी बेतिया (बिहार)
इस विषम परिस्थिति में किसी ज्योतिषी, कवि और लेखक की लेखनी खामोश नहीं रह सकती है क्योंकि राष्ट्र है तो हम हैं। राष्ट्र सुरक्षित रहेगा तो हमारा अस्तित्व भी कायम रहेगा। हमलोग "जननी जन्मभूमि" के सिद्धान्त को माननेवाले हैं अर्थात् हमारी जन्मभूमि (मातृभूमि) भी माँ है इसलिए भारत को "भरत-माता" भी कहते हैं। प्रत्येक पुत्र का कर्तव्य होता है कि अपनी माता की सब प्रकार से रक्षा करे। अतः राष्ट्र को हर प्रकार से सुरक्षित रखना ही हमारा "राष्ट्र-धर्म" है।
भारत के विषय में कहा जाता है कि:-
"साक्षी है इतिहास हमारा, हिन्द को युद्ध नहीं भाता है।
किन्तु अपनी आन के लिये, इसे जान देना आता है।"
हमारे वीर सैनिकों ने इसी पंक्ति को चरितार्थ करते हुए सरहद रक्षा में अपनी जो बहुमूल्य कुर्बानी दी है, उसपर भारत को गर्व है तथा राष्ट्र उन वीर शहीदों को शत् शत् नमन करता है तथा अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता है। इस सन्दर्भ में मुझे शिर्फ़ इतना हीं कहना है:-
"हम आतंक से नहीं डरनवाले, भारत में जोश जवानी है।
बंद करो घुसपैठ आतंक, ललकार रहा हिंदुस्तानी है।"
जय हिन्द! जय जवान! जय भारत-माता की!
पंडित मनोज मणि तिवारी बेतिया (बिहार)
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