हमारे हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन से शारदीय नवरात्र का आरम्भ होता है। इस वर्ष 2015 यानि संवत् 2072 में इसका आरम्भ दिनांक 13 अक्टूबर दिन-मंगलवार से आरम्भ हो रहा है। इस वर्ष प्रतिपदा तिथि की वृद्धि हो गयी है, इसलिए यह नवरात्र 10 दिन का हो जायेगा परंतु दशमी तिथि का क्षय हो जाने से यह पक्ष 15 दिन का ही होगा।प्रतिपदा यानि दिनांक 13 अक्टूबर मंगलवार को चित्रा नक्षत्र और वैघृति योग है, जो कलशस्थापन के लिए वर्जित है। पवित्र ग्रन्थ "रुद्रयामल" में लिखा है कि यदि प्रतिपदा में चित्रा नक्षत्र और वैधृति युक्त हो तो कलश-स्थापन मध्यान्ह समय में जब अभिजित मुहूर्त हो तो करना चाहिए। अतः इस पवित्र ग्रन्थ के अनुसार इस नवरात्र में कलश-स्थापन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित् मुहूर्त दिन में 11बजकर 37 मिनट से दिन 12 बजकर 23 मिनट तक है।इसी अवधि में कलश-स्थापन करना कल्याणप्रद होगा।
इस वर्ष नवरात्र का आरम्भ मंगलवार को हो रहा है अतः माँ भगवती का आगमन घोड़े की सवारी पर होगी जो धार्मिक दृष्टिकोण से छत्रभंग यानि राज्यभंग कारक है।
दिनांक 19 अक्टूबर 2015 दिन-सोमवार को मूल नक्षत्र होने से उस दिन सरस्वती का स्थापन करना चाहिए। पवित्र "देवीपुराण" के वचन से निर्णयामृत में कहा गया है कि मूल में देवी का स्थापन,पूर्वाषाढ़ा में पूजन, उत्तराषाढ़ा में बलिदान और श्रवण में विसर्जन करना चाहिये। इसी प्रकार पवित्र "रुद्रयामल" में भी लिखा गया है कि मूल नक्षत्र में सरस्वती का आवाहन कर श्रवण नक्षत्र तक उनकी पूजन करें। ऐसा करने से उत्तम बुद्धि और उत्तम विद्या की प्राप्ति होती है। शिष्टों की आज्ञा है कि मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में सरस्वती का आवाहन तथा श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण में विसर्जन करें। "चिंतामणि" में ब्रह्माण्ड पुराण का वाक्य है कि जब श्रवण नक्षत्र का आदि भाग रात्रि में हो तो देवी का विसर्जन अगले दिन महोत्सव में करना चाहिये।
इस नवरात्र में दिनांक 20 अक्टूबर दिन- मंगलवार को अष्टमी तिथि में "महानिशा पूजा" की जायेगी और दिनांक 21 अक्टूबर दिन-बुधवार को दिन में 08 बजकर41 मिनट के बाद से "महानवमी" में हवन आदि कार्य किये जायेंगे।यह हवन दिनांक 22 अक्टूबर को प्रातः 07 बजकर 10 मिनट के पहले तक किया जा सकता है। दिनांक 22 अक्टूबर दिन-गुरुवार को प्रातः 07 बजकर 11 मिनट से दशमी तिथि में "विजयादशमी" का परम पुनीत पर्व मनाया जायेगा तथा नवरात्र-व्रत की पारणा की जायेगी।इस दिन दुर्गा-प्रतिमा विसर्जन, नीलकंठ-दर्शन, शम्मी-पूजन,अपराजिता-पूजन,विजय-यात्रा आदि का विशेष महत्व और उत्तम मुहूर्त है।
जय शारदीय नवरात्र की। जय दुर्गा माता की।
पंडित मनोज मणि तिवारी,बेतिया(बिहार)
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Tuesday, October 13, 2015
शारदीय नवरात्र : कलशस्थापन एवं विशेष मुहूर्त
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