Sunday, February 07, 2016

ज्योतिषिय दृष्टि में 09 फरवरी से 07 अप्रैल 2016 तक ग्रह-प्रभाव का अनुमान

        भारतीय ज्योतिषीय गणना एवं कई हिन्दू पंचांगों में वर्णित भविष्यफल के अनुसार दिनांक 09 फरवरी 2016 से 07 अप्रैल 2016 तक की अवधी में कई ग्रहों की स्थितियों में परिवर्तन हो रहा है, जिससे देश और दुनिया में कई शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ने की प्रबल संभावनाएं बनती हैं। इस अवधी में होने वाले कई परिवर्तनों की कुछ स्थितियां इस प्रकार की है:-
      (1) इस सम्पूर्ण अवधी में वृहस्पति-ग्रह का चाल पूर्ण वक्री है।
      (2) इस अवधी में हीं दिनांक 13 फरवरी 2016 दिन-शनिवार को सूर्य शत्रुशनि की कुम्भ राशि में प्रवेश कर रहा है, जहाँ पापग्रह केतु पहले से विराजमान है।
      (3)इस अवधी में हीं दिनांक 21 फरवरी 2016 दिन-रविवार को वृहस्पति-ग्रह अपनी वक्री चाल से सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है, जहाँ पापग्रह राहु पहले से विराजमान है।
      (4) इसी अवधी में हीं दिनांक 29 फरवरी 2016 दिन-सोमवार को पापग्रह मंगल वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है, जहाँ प्रबल शत्रु पापग्रह शनि पहले से विराजमान है।
     (५) इसी अवधी में हीं दिनांक 09 मार्च 2016 दिन-बुधवार को सूर्य-ग्रहण भी लग रहा है।
     (6) इसी अवधी में फाल्गुन मास में पांच मंगलवार भी हो रहा है।
      (7) इसी अवधी में हीं दिनांक 09 मार्च 2016 दिन-बुधवार तिथि-अमावस्या को कुम्भ राशि में सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र और केतु यानि पाँच-ग्रहों का एक साथ होना और इसी समय सूर्य-ग्रहण का लगाना ।
         अतः भारतीय ज्योतिष मतानुसार वृहस्पति का वक्री होना, सूर्य केतु के साथ होना, वृहस्पति राहु के साथ होना, मंगल शनि के साथ होना, फाल्गुन मास में पाँच मंगलवार का होना, पंचग्रही योग में अमावस्या का होना और उसमे सूर्य-ग्रहण का लगना, एकसाथ ऐसे सभी योग देश और दुनिया के लिए बड़े ही अनिष्टकारी और अशुभ फल देने वाले होते हैं। इस अवधी के दौरान दैविक, प्राकृतिक प्रकोप यानि आँधी-तूफान, बाढ़, भूकंप, अग्नि-प्रकोप, विषैले जीवों का प्रकोप, रोग-महामारी के साथ-साथ युद्ध, विद्रोह, विस्फोट, अशांति, उग्रता, आतंकी कार्यवाही, शासकवर्ग में द्वेषता, राज्यों में मतभेद, सीमा पर तनाव, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की मृत्यु, देश में हड़ताल, किसी घोटाले का उजागर होना, सरकारी कार्यों में बाधा, सैन्य-बलों की कार्यवाही, सैन्य-क्षति, स्त्रीवर्ग को कष्टादि की प्रबल संभावनाएं बनती है। इस अवधी में सीमापर आतंकवादी गतिविधियों से युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। जनसंघर्ष और जनधन की हानि भी हो सकती है।
           इन ग्रह-योगों का प्रभाव शिर्फ़ अपने देश पर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व पर भी दिखने की संभावना बनती है। इस अवधी में राष्ट्र-मंडलों में आपसी मतभेद होगा जो संघर्ष का रूप धारण करेगा, युद्ध की स्थिति बनेगी, कोई राष्ट्र किसी राष्ट्र को सैन्य कार्यवाही के फलस्वरूप अपने अधीन करने की कोशिश करेगा। संयुक्त राष्ट्रसंघ नीतियों के उलंघन की घटनाएं भी हो सकती है। विकसित राष्ट्रों की एकपक्षीय कार्यवाही का  अन्य राष्ट्र विरोध भी कर सकते हैं। राष्ट्रों की सैन्य कार्यवाही और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से व्यापक जन-संहार होने की भी संभावनाएं बनती है। अंतराष्ट्रीय संबंधों में विस्तार हेतु राष्ट्राध्यक्षों की लगातार विदेश यात्रायें और बैठकें होंगी,इसमे कई पुराने सम्बन्ध टूटेंगे तथा नये समीकरण बनेगें,जिसमे भारत की भूमिका अहम् और मजबूत होगी।
          इस अवधी में भारतीय राजकीय खर्च में काफी वृद्धि हो सकती है। शासन-प्रणाली पर न्यायलय के हस्तक्षेप से कोइ निर्णय प्रभावित हो सकता है तथा शासक वर्ग में कुछ अंदरुनी मतभेद भी सामने आ सकता है। रासायनिक पदार्थ और औषधि-सामग्री महंगे हो सकते हैं। फरवरी महीने की 09, 13, 14, 16, 20, 21, 23, 27, 28 और मार्च महीने की 01, 04, 06, 08, 12, 15, 19, 22, 26, 27, 29 और अप्रैल महीने की 02, 05 तारीखें अनिष्टकारी प्रभाव दे सकती हैं।
         इति-शुभम।
         पंडित मनोज मणि तिवारी, बेतिया (बिहार)